भौतिकवाद और आध्यात्मवाद का आमेलन

1-खाओ-पीयो और मौज करो- जी हॉ जीवन के दो किनारे माने गये हैं एक किनारा इधर का और दूसरा उधर का। इधर का किनारा भौतिकवाद और उधर का किनारा आध्यात्मवाद का। कुछ लोगों की विचारधारा होती है कि दो दिन की जिन्दगी होती है, क्यों न मौज-मस्ती से रहें। ऐसे लोगों का यह दृष्टिकोंण भौतिकवादी है। इस विचारधारा से वे लोग कुछ जुटा नहीं पाते हैं,इसलिए कि उनका तर्क होता है कि हर एक को मृत्यु पूरी तरह से सब कुछ नष्ट कर देगी,कुछ भी नहीं बचेगा,इसलिए दूसरे किनारे की फिक्र ही न करो! इस बारे में सोचो ही नहीं और न विचार करो। परमात्मा,सत्य,मुक्ति,मोक्ष या निर्वांण को प्राप्त करने के बारे में ये सभी भ्रम मात्र है,इनका कोई कहीं अस्तित्व ही नहीं है। इसलिए उस क्षण से जितना भी रस निचोड सकते हो,निचोड लो। जीवन एक संयोग से मिला है। कई लोग इसी धारणॉ से जीते हैं । लेकिन ऐसे लोग बहुत कुछ स्थितियों में चूक जाते हैं –क्योंकि यह जीवन मात्र एक संयोग नहीं है,बल्कि इस जीवन का कुछ कारण और उद्देश्य भी है,जीवन तो एक फैलाव या विस्तार है। भविष्य बंजर नहीं है,बल्कि उसमें कु...