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सुख-दुख के रूप

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1-             जी हॉ सुख-दुख के भी अजीवोगरीव रंग है,कभी एक रुप में तो कभी दूसरे रूप में दिखता है। मैं एक मैगजीन में एक कहानी पढ रहा था ,कि रोम में एक धनी व्यक्ति को एक दिन जब इस बात का पता चला कि उसके पास अब केवल दस लाख डॉलर शेष हैं,तो उसने सोचा कि आगे अब मेरा काम कैसे चलेगा । तो उसने उसी क्षण आत्महत्या कर ली। उसके लिए दस लाख डॉलर कुछ भी नहीं था,लेकिन हम लोगों के लिए तो पूरे जीवन की आवश्यकता से भी यह अधिक था। अगर हमारे पास ये डॉलर होते तो हम खुश हो जाते, मगर उस धनी के पास होने पर वह दुखी हो गया। अगर देखें तो ये सुख और दुख क्या है?ये तो सतत् परिवर्तन शील हैं,लगातार विभिन्न रूप धारण कर लेते हैं।      2-             मुझे अपने बचपन की .याद आती है कि मैं सोचता था कि बडा होकर मेरी अपनी गाडी होगी तो मैं सुख की पराकाष्ठा पर रहूंगा। लेकिन अब मैं बडा हो गया मगर अब मैं ऐसा नहीं सोचता। जीवन में लोग अलग-अलग प्रकार के सुख को पकडकर रखते हैं । एक ब्यक्ति हर दिन श...

आत्मानुभूति

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   1-          हमारे सामने जीवन के प्रारम्भ में यह प्रश्न आया कि इस बाहरी जगत की रचना कहॉ से हुई ? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? फिर एक विचार और उत्पन्न हुआ कि मनुष्य के अन्दर कौन सी ऐसी चीज है,जो उसे जीवित रखती है और उसे चलाती है,और मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होता है। हमारे प्राचीन दार्शनिकों ने अमर होने के सम्बन्ध में चिंतन किया था, और समय समय पर अलग-अलग तथ्य सामने आये ।       2-           जो भी हो जब हम इस पृथ्वी के सम्बन्ध में सोचते हैं तो हमारा दृष्टिकोंण मानवीय होता है।हर एक जीव की अपनी दुनियॉ होती है,जैसे यदि कुत्ता दार्शनिक होता तो वह अपने कुत्ता जगत के बारे में ही सोचता, उसे ईश्वर से कोई मतलव नहीं। इसी प्रकार बिल्ली,गाय आदि सभी की दुनियॉ की धारणॉ अलग-अलग होती है। इसी प्रकार हम मनुष्यों की धारणॉ मनुष्य जगत तक ही सीमित है,इसलिए हमारी व्याख्या इस जगत के सम्बन्ध में पूर्ण नहीं है।       3-      ...

जीवन की अमरता का रहस्य

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               जीवन में अमर होने की बात एक रहस्य बना हुआ है, मनुष्य ने इतनी खोजें कर ली हैं,मगर अमर होने की खोज का रहस्य अधूरे सपनों की फायलों में बन्द है। हर कोई अमर होने की बात करता है। यह साधु महात्माओं और ज्ञानियों सभी का गहन चिंतन का विषय रहा है,कवियों की कल्पना का यह मुख्य विषय रहा है। राजा महॉराजाओं ने भी अमर होने की कल्पना की है। सभी लोग चाहे वह भिखारी हो या राजनेता अमर होने की चाह रखते हैं। और जबतक जीवित है, यह संसार है, तबतक यह चाह रखेंगे कि अमर कैसे होते हैं । विभिन्न लोगों ने इस सम्बन्ध में अपने-अपने तर्क दिये हैं ।कुछ लोगों ने इसे अनावश्यक बात कहकर इस पर कुछ कहना छोड दिया है,लेकिन जो भी बात करता है उसके लिए यह बात नईं है । एक कदम भी इस खोज में कोई आगे नहीं बढ पाया है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि जो लोग ऐसी बातें करते हैं कहीं वे भ्रमित तो नहीं है?अज्ञानतावश तो नहीं सोचते हैं ऐसा? इस सम्बन्ध में हम विभिन्न पहलुओं की ओर देखने का प्रयास करते हैं---       1-     ...

आत्म चिंतन

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                 आत्मा की आवाज पहचानने से नये-नये रहस्यों की एक श्रृंखला कुछ प्रश्नों,कुछ उत्तरों और कुछ अनसुलझे रहस्य सामने आते हैं, भले ही यह भी सोचते हैं कि इन तर्कों से क्या हो जायेगा,लेकिन यह मानव प्रवृत्ति का एक अंग है,आत्म चिंतन के रहस्यों के बारे में अगर विचार करें तो,पर्दे खुलते जाते हैं लेकिन अंत उसी बिन्दु पर होता है जहॉ से चले थे -   1-           इस मनुष्य की रचना करने वाले ने मनुष्य की इन्द्रियों को बहिर्मुखी होने का विधान बनाया है,इसीलिए मनुष्य बाहरी विषयों की ओर देखता है,अन्तरात्मा की ओर नहीं देखता है। लेकिन अगर देखें तो इस पृथ्वी पर जिसने भी अमरत्व की प्राप्ति की है उन्होंने बाहरी विषयों से विमुख होकर अपने अन्तरस्थ आत्मा का दर्शन किया है। हमारे वेदों द्वारा पृथ्वी पर हपली बार बाहरी विषयों के सम्बन्ध में खोज प्रस्तुत की है,जिसके आधार पर नवीन विचारों का जन्म हुआ है। उसके बाद कई प्रकार के विचार सामने आये हैं। सच तो यह है कि ...

आस्था की नीव

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http://raghubirnegi.wordpress.com/ http://bookdotwordpressdotcom.wordpress.com/                            आत्मा के सम्बन्ध में भारतीय चिंतन में अनेक मत हैं,अलग-अलग धमों में आत्मा को समझाने का प्रयास किया गया है। भारत में प्रचलित मतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। 1-आस्तिक और 2-नास्तिक ,जो मत हिन्दू धर्मग्रन्थों वेदों को सत्य का प्रकाश मानते हैं,उन्हैं आस्तिक और जो वेदों को न मानकर अन्य प्रमॉणों पर आधारित हैं,उन्हैं नास्तिक कहते हैं। इन्हीं विचारों की ब्याख्या करने का प्रयास करते हैं---   ईश्वर का आस्तिक स्वरूप     1-            इस विचार धारा की मान्यता है कि ईश्वर सगुण है,उसका शऱीर नहीं है पर उसमें गुंण है।मानवीय गुंण उसमें विद्यमान है,जैसे-दयावान,न्यायप्रिय,सर्वशक्तिमान व बलवान उसके पास पहुंचा जा सकता है,उससे प्रार्थना की जा सकती है,उससे प्रेम किया जा सकता है आ...

पुनर्जन्म के तथ्य

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                                         http://raghubir-negi.blogspot.in/ http://bookdotwordpressdotcom.wordpress.com/   http://raghubirnegi.wordpress.com/                   पुनर्जन्म के सम्बन्ध में मनीषियों द्वारा शंकाओं का समाधान करने के अनेक प्रयास किये गये मगर फिर भी हमेशा अलग-अलग मत सामने आते रहे हैं। कुछ तथ्यों की विवेचना प्रस्तुत हैं-     1-                होता क्या है कि हर आदमी की समझने की क्षमता अलग-अलग होती है। किसी बात को कोई जल्दी समझ लेता है और कोई देर में,और कोई समझ ही नहीं पाता है। और कुछ को ऐसा लगता है कि मुझे यह मालूम था। इसका कारण क्या है? इस सम्बन्ध में हमने पहले भी विवेचना की थी कि पूर्...