दर्द

                   कई लोग अपनी नसें काट लेते है , अपने को आग लगा लेते है, ऊँचाई से कूद कर अपनी हड्डियाँ तोड़ लेते है । मजे की बात यह है कि इन्हे पीड़ा का अहसास नही होता । 
                  ये . दर्द वास्तव में मानसिक रोग है जिसके कारण ऐसे कर्म कर लेते है । पीडा किसी को भी पसंद नही है परंतु वह हमारे जीवन का अभिन्न अंग है । नदिया बहती है, सुबह शाम होते है, मौसम बदलते है, धूप छाँव होती है । इसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना लगा रहता है ।। दुखों का प्रवेश दुखद घटना है, परंतु बिना दुखों के हम जीवन जीने की कला नही सीख सकते, परेशानी हमे बलवान बनाती है । हमे बहादुर बनाती है । हमे बुद्विवान बनाती है हमे जीना सिखाती है । 
              युद्ध की जीत किसी मदान में नही बल्कि मस्तिष्क में होती है । कुशलता पीड़ा एवं कष्टों से आती है । मसीहा आये, देवियां आई और महान आत्माये आई और गई परंतु मनुष्यों के दुख नही गये । ये हमे ही भगाने होगे । परेशानियां आप का पीछा तब छोडेंगी जब आप उनका डट कर मुकाबला करेंगे । 
               बाधाओं को अपना दुश्मन मत मानो , तुम्हे अपने राह से बड़े बड़े पहाड़ खुद हटाने होगे बुरे समय में ही हमारी मानसिक परीक्षा होती है । परेशानियों आप के व्यक्तित्व एवं विचारो की मरम्मत कर के उन्हे विकास के पथ पर लें जाती है । ये पीडा या दर्द और कुछ नही सिर्फ लोगो के नेगेटिव बोल या नेगेटिव व्यवहार है जिन्हे हम मन में बसा लेते है । 
              बार बार सुनने या रिपीट करने से मन में नेगेटिव एनर्जी रूक जाती है जिस से मन में गाँठ बन जाती है । वह हर समय दर्द पैदा करती है । हम जिन लोगो के साथ रहते है, वह चाहे छोटे है या बड़े है वह हमारे बारे कुछ ना कुछ नकारात्मक बोलते रहते है, हम उन्हे बड़ा या छोटा समझ कर कुछ नही कहते ।
             ऐसे ही सामाज में या कार्य स्थल पर बांस की हर नेगेटिव बात सुनते रहते है । दबंग व्यक्ति के अधिकतर बुरे बोल और व्यवहार हम सुनते है, दुखी वा आहत होते रहते है । किसी के आगे अपना दर्द बयान नही कर पाते । कोई पूछे भी तो हम उन रायल नालायको की महिमा के पुल बाँध देते है, चापलूसी करते है क्योंकि पापी पेट का सवाल होता है । 
             ये सब दर्द का कारण बनते है । वह सब अपमान जिन का ना विरोध कर सकते है, ना बोल सकते है ना सोच सकते है जिसे हम सहन करते रहते हैँ परंतु अन्दर ही अन्दर आहत होते रहते है । इस से दर्द बना रहता । 
                 अगर हम झूट बोलते है, किसी का नुकसान करते है, किसी को आगे नही बढ़ने देते तो ऐसे लोग मन में काँटे की तरह पीड़ा देते रहते है । ऐसे लोगो से बचो, नही बच सकते तो उनकी बातो को सीरियस्ली मत लो । मन में रिपीट मत होने दो । मन में हमेशा अच्छी बाते, अच्छे कॉमेंट्स ही याद रखो ईश्वर को याद रखे ।


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