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Showing posts from February, 2019

प्रेम, दयालुता एवं शांति

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प्रेम दयालु होता है।                जब हम प्रेम प्रकट करना चाहते है तो हमे दयालुता पूर्ण शव्दो का प्रयोग करना चाहिये । एक वाक्य के अलग अलग मतलब होते है । यह अर्थ हमे किसी घटना के बारे मे कहने के अंदाज़ से लगता है । शब्द कर्कश है या नम्र ।                 कई बार हमारे शब्द कुछ कहते है और उन्हे कहने का अंदाज़ कुछ और ही होता है । हम दो तरफा संदेश भेज रहे होते है, दूसरा व्यक्ति हमारे शव्दो के आधार पर नहीं, हमारे कहने के अंदाज़ से हमारे संदेश का अर्थ लगाता है । दयालुता पूर्ण स्वर से हम किसी के दुख, चोट और गुस्से को बाँट सकते है । यही प्रेम की निशानी है । नहीं तो आमतौर पर समझा जाता है कि मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते है ।                  अगर कोई परेशानी मे है तो उस समय दयालु शबदो से जबाब दो । वह जल्दी ही उस से बाहर आ जायेगा । नहीं तो वह डिप्रेशन में जा सकता है । वह मानसिक रोगी भी बन सकता है । एक शांत उतर क्रोध को दूर भगाता है । जीवन साथी गुस्से में है, परे...

दर्द

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                   कई लोग अपनी नसें काट लेते है , अपने को आग लगा लेते है, ऊँचाई से कूद कर अपनी हड्डियाँ तोड़ लेते है । मजे की बात यह है कि इन्हे पीड़ा का अहसास नही होता ।                    ये . दर्द वास्तव में मानसिक रोग है जिसके कारण ऐसे कर्म कर लेते है । पीडा किसी को भी पसंद नही है परंतु वह हमारे जीवन का अभिन्न अंग है । नदिया बहती है, सुबह शाम होते है, मौसम बदलते है, धूप छाँव होती है । इसी प्रकार जीवन में सुख और दुख का आना जाना लगा रहता है ।। दुखों का प्रवेश दुखद घटना है, परंतु बिना दुखों के हम जीवन जीने की कला नही सीख सकते, परेशानी हमे बलवान बनाती है । हमे बहादुर बनाती है । हमे बुद्विवान बनाती है हमे जीना सिखाती है ।                युद्ध की जीत किसी मदान में नही बल्कि मस्तिष्क में होती है । कुशलता पीड़ा एवं कष्टों से आती है । मसीहा आये, देवियां आई और महान आत्माये आई और गई परंतु मनुष्यों के दुख नही गये । ये हमे ही भगाने होगे । परेशानियां आप...