सुख-दुख के रूप

1- जी हॉ सुख-दुख के भी अजीवोगरीव रंग है,कभी एक रुप में तो कभी दूसरे रूप में दिखता है। मैं एक मैगजीन में एक कहानी पढ रहा था ,कि रोम में एक धनी व्यक्ति को एक दिन जब इस बात का पता चला कि उसके पास अब केवल दस लाख डॉलर शेष हैं,तो उसने सोचा कि आगे अब मेरा काम कैसे चलेगा । तो उसने उसी क्षण आत्महत्या कर ली। उसके लिए दस लाख डॉलर कुछ भी नहीं था,लेकिन हम लोगों के लिए तो पूरे जीवन की आवश्यकता से भी यह अधिक था। अगर हमारे पास ये डॉलर होते तो हम खुश हो जाते, मगर उस धनी के पास होने पर वह दुखी हो गया। अगर देखें तो ये सुख और दुख क्या है?ये तो सतत् परिवर्तन शील हैं,लगातार विभिन्न रूप धारण कर लेते हैं। 2- मुझे अपने बचपन की .याद आती है कि मैं सोचता था कि बडा होकर मेरी अपनी गाडी होगी तो मैं सुख की पराकाष्ठा पर रहूंगा। लेकिन अब मैं बडा हो गया मगर अब मैं ऐसा नहीं सोचता। जीवन में लोग अलग-अलग प्रकार के सुख को पकडकर रखते हैं । एक ब्यक्ति हर दिन श...